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Kaun Jaat Ho
जातिगत जनगणना या सरकारी नौकरी, वोट बैंक और सुविधाओं का बंदर बाँट?
साफ तौर पर देखा जा सकता है कि जातीय जनगणना का मकसद केवल ये साबित करना है कि पिछड़ी जातियों की संख्या ज्यादा है और उनकी संख्या के मुताबिक ही सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थानों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
अदना सा पत्रकार: हें हें हें
शाम आठ बजे और कुछ टीआरपी जैसे समाजवादी कारणों से अब नौ बजे, प्राइमटाइम में अधोमुखी मेरूरज्जु से निहुरा हुआ एक अदना सा पत्रकार...
‘कभी बड़े शीशे के सामने खुद को निहारना तब पता चलेगा आप कौन जात हो’
हर खबर में 'कौन जात हो' एंगल ढूंढने वाले पत्रकार साहब खुद को किसी मसीहा से कम नहीं मानते, ये बात और है कि शॉ की टीआरपी नीचे से पहले पायदान पर है।