आज हम ऐसे व्यक्ति के ऊपर चर्चा और परिचर्चा करने जा रहे है, जिसने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम मे ना तो किसी प्रकार का योगदान दिया और ना हि कोई भूमिका निभाई, पर उसका भाग्य देखिये, कि उसको वह सब कुछ मिला जिसका वो कत्तई हकदार ना था।
आपको इस तथ्य से अवगत होने में आश्चर्य महसूस होगा कि पूरे संविधान को लिखने के लिए किसी भी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया गया था अपितु दिल्ली के रहने वाले स्व श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से इटैलिक शैली में इस विशालग्रंथ, अर्थात संपूर्ण संविधान को लिखा था।
ईंदिरा या ईंडिकेट कांग्रेस के लोगो ने मान लिया की अब परिवार की खुशामदगिरी मे ही राजनितिक भविष्य है और इस तरह लोकतंत्र लगभग खत्म हो गया! उधर ओरिजिनल कांग्रेस का सिंडिकेट कांग्रेस अपने अंतीम पड़ाव पर धिरे धिरे पहुँचने लगी।
The kind of hatred and animosity spread towards him by a section of the media has instinctively poured oil on the stomach of the pseudosecular gang and so they have started praising Nehru.
one can confidently assume that more there is Modi diatribe, more Modi gets stronger matching to his reply ‘My secret of success is people’s abuses from morning to evening’ to London interviewer’s question ‘What is secret of your success?’
This article refers to five historical instances where democracy and rule of law meant nothing for the party and the ways in which it threatened our Constitutional principles.
If only, Mahatama Gandhi and Jawahar Lal Nehru would have read and understood Indian scriptures more accurately, perhaps India would not have been facing this crisis today. Not fighting for 'Dharma' is same as perpetuating 'Adharma'.