अगर अनुभव सिन्हा एक एजेंडा से भरे निर्देशक नहीं बल्कि सचमुच दलितों के पक्ष कार एवं भला चाहने वाले व्यक्ति हैं तो क्या वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जिसके वह alumni रहे हैं में दलित आरक्षण के मुद्दे को उठाएंगे? क्या देश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह एएमयू जैसे विश्वविद्यालय में भी दलितों को आरक्षण का अधिकार नहीं?
वर्षों की गुलामी के कारण हमारी मनोस्थिति ही ऐसी हो गयी है कि मनोरंजन की डिश में भी जब तक पश्चिमी तड़का न लगे वह हमें स्वाद नहीं देती या यूं कहें कि ये डिश बनाने वाले बावर्ची हमारी स्वाद कलिकाओं को विकसित ही नहीं होने देना चाहते ताकि अपने घटिया व्यंजन परोसते रहें और हम उन्हें ही मालपूआ समझ कर ग्रहण करते रहें।