जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि आखिर ये "श्री सम्मेद शिखर जी" कि महिमा क्या है और झारखण्ड की राज्य सरकार ने ऐसा क्या कर दिया कि उसका निर्णय हमारे पवित्र "जैन समाज" के आस्था को चोट पहुंचाने जैसा हो गया।
जिन दलित हिंदुओं को तथाकथित मॉब लिंचिंग के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है उनके लिए दलित की राजनीति करने वाले नेताओं का रवैया कैसा रहने वाला है। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं के गले की हड्डी बन चुकी यह घटना अब उनके ना तो निकलते बन रही है और ना ही उगलते।