कारीगर की मेहनत से लोगों के घर और बाज़ार सजते हैं लेकिन क्या कभी किसी ने ये जानने की कोशिश की कि इनका घर कैसे चलता है? आप इन कारीगरों की मेहनत को ऊँचे दामों में खरीदते हैं लेकिन इन कारीगरों को उनकी मेहनत के इतने कम मूल्य मिलते है की वो ठीक तरह से अपना जीवन यापन भी नहीं कर पाते.