प्रश्न ये है विपक्षी नेता और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओ को ही केवल दिखाई दे रहा है की "संविधान खतरे में है" पर आम जनता को तो जैसे लगता है इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है या फिर वो अच्छी तरह समझती है की संविधान खतरे में नहीं बल्कि भ्रष्टो का भ्रष्टाचार खतरे में है, लुटेरों का लूट खसोट खतरे में है, माफियाओ की माफियागिरी खतरे में है, गुंडों की गुंडागर्दी, दंगाइयों के दंगे फसाद, हुड़दंगियों का हुड़दंग और दलालो की दलाली खतरे में है।