क्या एक सभ्य लोकतंत्र को चलाने हेतु आवश्यक नागरिकों की नस्ल को पैदा करने और प्रशिक्षित करने के उद्देश्य में इस तरह के विरोध प्रदर्शन किसी तरह से उपयोगी हो पाएँगे? या ये अराजकता और तानाशाही को जन्म देंगे?
“भारत तेरे टुकड़े होंगे ....”, “हमें चाहिए भारत से आजादी ......”, “ भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ....” आदि नारे लगाने लगे तो भारत की अस्मिता तथा अखंडता को अन्दर से ही खतरा हो जायेगा तथा सोवियत यूनियन की तरह हमारे देश के टुकड़े होने से भी कोई नहीं रोक पायेगा |