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caste census
राष्ट्रिय एकता पर ग्रहण होगी जातीय जनगणना
गांधी के जाति मुक्त भारत की परिकल्पना को आज के गांधीवादियों द्वारा ही घुरे पर फेंक जातीय जनगणना की स्वीकृति दी गई। इसे धार्मिक कट्टरता के दुष्परिणामों की प्रतिक्रिया स्वरूप जन्मी सामाजिक एकता को जातीय कट्टरता मे परिवर्तित कर सामाजिक विभाजन द्वारा निर्बल करने की साज़िश के रूप मे देखा जाना चाहिये।
जातीय जनगणना: हिंदुत्व समीकरण को तोड़ने की साज़िश
हमारी गिरावट और अंग्रेजों का उत्थान एक दुसरे के पूरक रहे क्योंकि जैसे जैसे हमारी सामाजिक व्यवस्थाओं से छेडछाड़ हुई और हमें तोड़ा गया हम आर्थिक मोर्चों पर कमजोर हुए, राजनीतिक क्षेत्र में परतंत्र हुए और हमारी मौलिक आजादी भी छीन ली गयी।
जाति जनगणना की मांग: एक राष्ट्रविरोधी विचार
अगर हमारी चाह पहले विकल्प की है तो जाति जनगणना की मांग का विरोध हमारा प्राथमिक दायित्व होना चाहिए।