It is necessary to demolish the myth that caste system is an intrinsic part of Hinduism. Moreover, this myth has harmed relations between the so-called upper castes and lower castes.
जन्म आधारित जातिव्यवस्था महर्षि मनु द्वारा प्रतिपादित समाजव्यवस्था का कहीं से भी हिस्सा नहीं है. जो जन्मना ब्राह्मण अपने लिए दण्डव्यवस्था में छूट या विशेष सहूलियत चाहते हैं – वे मनु, वेद और सम्पूर्ण मानवता के घोर विरोधी हैं और महर्षि मनु के अनुसार, ऐसे समाज कंटक अत्यंत कड़े दण्ड के लायक हैं
जाति व्यवस्था पर हमारे समाज में अत्यधिक भ्रम उत्पन्न किया गया है। इतने वर्षों के घोषित अघोषित दासता काल में हिन्दू सभ्यता के विरुद्ध अनेक षड्यंत्र किये गए हैं। जैसे वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित षड्यंत्र है caste system।
caste in Hindu Dharma is more to do with ones nature and his motivations in this life than a badge of honour or competition with belief of anyone else. Caste is not based on rituals one performs but reasons behind those rituals.
Caste- the original phrase carries as much weight as claiming to disbelieve in capitalism. The question of belief does not arise at all. As the duality of rich and poor exists, so does caste. And it will stay.