Wednesday, March 19, 2025

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सनातन विमर्श के महानायक– गोस्वामी तुलसीदास

तुलसी चाहते तो वेद, पूरण, उपनिषद, गीता या महाभारत को लोकवाणी या जनवाणी में लिख सकते थे, क्या कठिन था उनके लिए किन्तु उन्होंने रामकथा को चुना क्योंकि रामकथा, मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा है, रामकथा राष्ट्रनिर्माण की कथा है, रामकथा असुरों के सर्वांग उन्मूलन की कथा है और तुलसी के समकालीन समाज को उन मूल्यों की आवश्यकता थी जो पद दलित हो चुके हिन्दू समाज को मर्यादा में बांधकर उसकी शक्ति को पुनः सहेजने में सहायक सिद्ध हों।

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