Since ancient times, people in India have had a tradition of performing their duties — even in partial disregard of their rights and privileges. Since time immemorial, an individual’s “kartavya” — the performance of one’s duties towards society, his/her country and his/her parents — was emphasised.
बात करते हैं उस नारी शक्ति की जिनके लिये जीवन आज भी घर की चार दीवारी है, जहाँ महिला को महिला होने का अहसास पल पल करवाया जाता है, उसकी खूबियाँ मात्र इसी बात में निहित है कि उसके खाने में नमक पूरा है और बड़ों की मौजूदगी में घूंघट सदैव लगा रहता है। वो चाहे कितनी भी शिक्षित क्यूँ न हो, उसकी शिक्षा से धनार्जन का कोई संबंध नहीं माना जाता है।