सोची समझी रणनीति के तहत मोदी विरोधियों को उद्बोधन के लिए बुलाया गया था। नए छात्रों को पत्रकारिता की चुनौतियों से निपटने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को चुनौती के रूप में पेश किया गया। पूरे सत्र के दौरान मोदी को खलनायक के रूप में पेश किया गया।