आज जब कश्मीर में झूठी आज़ादी के नाम पर हजारों की संख्या में बच्चे और जवान हथियार लेकर हज़ारों जवानों की हत्या कर रहे है और कुछ लोग धर्मगुरु बनकर धर्म की रक्षा की झूठी लड़ाई छेड़े हुवे है तो ऐसे में उन लोगों को तिब्बत के लोगों से और दलाई लामा से ये सीख लेनी चाहिए कि अगर आपकी आज़ादी की लड़ाई सच्ची है तो इस लड़ाई में आपको हथियारों की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती है।
भारत और अमेरिका जैसे जिन मालिकों ने इन्हे घी पिलाया अब वही इन्हे कायम चूर्ण भी दे रहे हैं फिर चाहे वो व्यापार बैन करने वाले कायम चूर्ण हों या फिर गलवान घाटी में चीनियों को दिया गया भारतीय कायमचूर्ण, या फिर बालाकोट में पाकिस्तान को दिया गया कायमचूर्ण।
जब चीन के सामानों के बहिष्कार की लहर चल रही थी तो अपने ही देश के कुछ लोग चीन की वफादारी में लगे थें। हाँ ये बात अलग है कि अब वैसे लोग जेल जा रहे है जो अच्छी बात है।