Saturday, October 5, 2024

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लोकतंत्र का काला अध्याय

अब पत्रकारिता के दमन पर, अभिव्यक्ति की आज़ादी कहा है

4 नवंबर यानी बुधवार की तरोताजा सुबह ने मुंबई में जैसे आपातकाल की याद दिला दी हो यानी अभिव्यक्ति की आजादी जैसे सो कोस दूर हिलोरे मार रही हो ,स्वंत्रता की आजादी जैसे गड्ढे में दम ले लिया हो।

इमरजेंसी: लोकतंत्र का काला अध्याय

जिस आज़ादी के लिए असंख्य देशभक्तों ने अपना सर्वस्व बलिदान दिया, अमानवीय यातनाएं झेली, उस आज़ादी को इंदिरा गांधी ने पिंजरे में कैद कर लिया। जिस संविधान की शपथ लेकर श्रीमती गांधी सिंघसनस्पद हुई थी, सिंहासन बचाए रखने के लिए उसी संविधान पर ताला लगा दिया।

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