4 नवंबर यानी बुधवार की तरोताजा सुबह ने मुंबई में जैसे आपातकाल की याद दिला दी हो यानी अभिव्यक्ति की आजादी जैसे सो कोस दूर हिलोरे मार रही हो ,स्वंत्रता की आजादी जैसे गड्ढे में दम ले लिया हो।
हर मर्ज की दवा मोदी जी नहीं हो सकते। आपको विदेशी कंपनियों के उत्पादों का वहिष्कार करना होगा, इसके लिए मोदी जी के बैन लगाने का इंतज़ार न करिये, ये काम हम आप भी मिल कर सकते हैं।