किसी भी तरह का फर्जी खबर बना कर किसी परिवार को और किसी की संस्कृति पर कुठाराघात करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर अब तक कोई कार्यवाई क्यों नही हुआ?
देेश एवं राज्य का नाम रोशन करने वाली वेस्ट बोकारो की खिलाड़ी गीता को कहां पता था की दर्जनों मेडल और आधा दर्जन पदक जीतने के बाद भी अपने मां-बाप और खुद के जीवन यापन के लिए सब्जी बेचकर पेट पालने की नौबत आ जाएगी। उसने तो पुलिस में जाकर देश और परिवार की सेवा करने का सपना देखा था मगर इस तरीके से गीता का सपना पूरा हो सकेगा क्या?
जिन दलित हिंदुओं को तथाकथित मॉब लिंचिंग के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है उनके लिए दलित की राजनीति करने वाले नेताओं का रवैया कैसा रहने वाला है। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं के गले की हड्डी बन चुकी यह घटना अब उनके ना तो निकलते बन रही है और ना ही उगलते।