Tuesday, December 3, 2024
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pranay

दूध पिलाना बंद करो अब आस्तीन के साँपों को!

यदि सरकार ने अब भी इन गुंडों-दंगाइयों-आतंकियों के साथ नरमी बरती तो अगले चुनाव में उसे भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। इन गुंडों-दंगाइयों-आतंकियों से निपटने के लिए अब देशभक्त नागरिकों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

लोकतंत्र में हिंसा एवं अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं

लोकतंत्र में हिंसा एवं अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं- लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति गहन आस्था, विकास एवं सुधार को राजनीति की केंद्रीय धुरी...

महापुरुषों के जीवन-निकष पर हम कितना खरा उतर पाए हैं?

संपूर्ण विश्व में न्याय, समानता एवं स्वतंत्रता के पैरोकार एवं प्रशंसक नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरणा ग्रहण करते हैं और करते रहेंगें। उनकी प्रतिभा एवं देशभक्ति, जीवटता एवं संघर्षशीलता, साहस एवं स्वाभिमान, स्वानुशासन एवं आत्मविश्वास, संगठन एवं नेतृत्व-कौशल, ध्येय एवं समर्पण सहसा विस्मित करने वाला है।

खालसा पंथ की सिरजना के पीछे का ध्येय और गुरु गोबिंद सिंह जी

गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा स्थापित खालसा पंथ और उनकी बलिदानी परंपरा के महात्म्य को समझने के लिए हमें तत्कालीन धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि और परिस्थितियों पर विचार करना होगा।

पराजय नहीं, गौरवपूर्ण इतिहास है हमारा…

महाराणा का जीवन वर्तमान का निकष है, उनका व्यक्तित्व स्वयं के मूल्यांकन-विश्लेषण का दर्पण है। क्या हम अपने गौरव, अपनी धरोहर, अपने अतीत को सहेज-सँभालकर रख पाए? क्या हम अपने महापुरुषों, उनके द्वारा स्थापित मानबिन्दुओं, जीवन-मूल्यों की रक्षा कर सके?

कृषि कानूनों पर सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय से किसान-आंदोलन के नाम पर चल रहे षड्यंत्र को विफल कर दिया है। उसने भले ही तीनों कृषि क़ानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी हो और एक समिति के गठन की घोषणा की हो।

स्वामी जी के विचारों के संदर्भ में तथाकथित बुद्धिजीवियों से चंद सवाल

यह कहना अनुचित नहीं होगा कि जहाँ आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के मज़बूत सूत्र में पिरोया, वहीं स्वामी विवेकानंद ने...

वामपंथ का विषैला रक्त-चरित्र और उसकी विसंगतियाँ

वामपंथी शासन वाले देशों में न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकार भी जनसामान्य को नहीं दिए गए, परंतु दूसरे देशों में इनके पिछलग्गू लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देकर जनता को भ्रमित करने की कुचेष्टा करते रहते हैं।

भारत और भारतवासियों की अपराजेय दृढ़ता, जीवटता एवं संघर्षशीलता का वर्ष- 2020

2021 दरवाज़े पर दस्तक दे चुका है। बीते वर्ष का आकलन-विश्लेषण करने वाले बहुत-से विचारकों-विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2020 शताब्दियों में कभी-कभार फैलने वाली कोविड-19 जैसी महामारी और उसकी विनाशलीला के लिए याद किया जाएगा।

कोविड-काल एवं 2020 के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री: योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ

योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ जी ने भी कोविड और उसकी चुनौतियों को अवसर में परिणत कर दिया और ऐसे आशातीत-आश्वस्तकारी परिणाम दिए कि पूरी दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबाकर बस देखती रह गई!

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