सनातन विमर्श के महानायक– गोस्वामी तुलसीदास
तुलसी चाहते तो वेद, पूरण, उपनिषद, गीता या महाभारत को लोकवाणी या जनवाणी में लिख सकते थे, क्या कठिन था उनके लिए किन्तु उन्होंने…
तुलसी चाहते तो वेद, पूरण, उपनिषद, गीता या महाभारत को लोकवाणी या जनवाणी में लिख सकते थे, क्या कठिन था उनके लिए किन्तु उन्होंने…
जिसने अपनी इच्छा प्रकट करने वाली शूपर्णखा के नाक –कान कटवा दिए वो राम, जिसके लिए एक कपड़े धोने वाला अपनी पत्नी से बड़ा…
वर्तमान में जब सामाजिक और पारिवारिक जीवन अन्यान्य कारणों से इतना जटिल हो गया है तो क्यों न अपने अतीत से कुछ सीख लें…
भारतीय परंपरा के प्रत्येक पर्व के पीछे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक हेतु होते हैं। पांच पर्वों के समुच्च्य वाली दीपावली तो अपने आप…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वागत में अमेरिका का भारतीय समुदाय उत्साह में है। भारत माता की जय और वन्दे मातरम के नारों से…
एक बार धर्मान्तरण कर लिया तो हिन्दू लड़की को विवाह से मिलने वाले सारे अधिकार खो दिए, शरई अदालत के सामने तो उनकी अपनी…
हम उस पीढ़ी से हैं जिसने बचपन में लोकपर्व बहुत आनन्द लिया है और अब धीरे धीरे इसका विलोपन सा होते देख रही है।…
मानव जाति और संस्कृति की कतिपय समस्याएं विश्व में मानवों की जनसंख्या से ही सम्बंधित हैं। यदि जनसँख्या अनियंत्रित होकर बढ़ती रही तो संसाधनों…
राजनैतिक दलों ने सत्ता प्राप्ति के लिए सार्थक काम करने के स्थान पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया क्योंकि वो चुनाव जीतने का आसान…
परिस्थितियों को देखने पर लगता है, “मानवता” ये शब्द अथवा तत्व ही हमारे समय की सबसे बड़ी अतिशयोक्ति है।