ये मेरे दोस्त जो यूपी में हैं जो ना नेता है, ना पॉलिटिकल analyst है, उनका कहना है और उनके ही शब्दों को मैंने इसमें लिखा है। जात की राजनीति और हिंदुत्व, देखते हैं जीत किसको हांसिल होती है।
अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी अब ये सबसे प्रमुख बदलाव हैं क्योंकि हम या आने वाली पीढ़ी कहीं ना कहीं अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहें हैं, और अगर ऐसा चलता रहता तो हम अपने जड़ों को भूल जाते।
अख़लाक़ खान, पहलू खान कोई भी हो सबके लिए देशव्यापी रोष था, हैशटैग चले थे, सारी पार्टीयों में जैसे गुस्से का तूफान आ गया था, लेकिन साधुओं की हत्या पे चुप्पी बहोत कुछ बोलती है, भइया ये लोकतंत है और हम जनता है हम "भूलते" नही।