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राम के आदर्शों का अनुकरण कर हम भी राम बन सकते हैं
प्रभु श्रीराम ने अपने सम्पूर्ण जीवन के प्रत्येक प्रसंग से समाज व समाज के लोगों के समक्ष यही संदेश देने का प्रयास किया है कि हम भी राम की भांति ही हो सकते हैं एवं समाज के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं, लोगों को अपने जीवन से प्रेरित कर सकते हैं।