केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम चुनावों से ठीक पहले जनता को फिर से अपनी चाल में फंसाने की कोशिश करते हुए यह लालच दी हैं कि अगर यह नगर निगम चुनावों में जीत गए तो दिल्ली में हाउस टैक्स को पूरी तरह ख़त्म कर देंगे.
लोग पिछले ७० सालों में न सिर्फ पढ़े लिखे हैं, पहले से अधिक समझदार और जागरूक भी हुए हैं. तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों, उनके द्वारा नियंत्रित मीडिया और बुद्धिजीवियों की बुद्धि पर लोगों ने भरोसा करना अब बंद कर दिया है.
Since PM Modi is always talking about "Sabka Saath, Sabka Vikas", the opposition got jittery because this new narrative does not fit in the scheme of things crafted by these fake secular parties over the decades.
जहां एक तरफ मोदी का करिश्मा और अमित शाह की रणनीति की जीत हुयी है, वहीं उन सभी लोगों की हार हुयी है, जो मोदी, भाजपा और संघ को नीचा दिखाने के चक्कर में यह भी भूल गए थे, कि वे सभी देश हित, समाज हित और जन हित के खिलाफ काम कर रहे हैं.
राजनीतिक दलों की लिखी हुयी स्क्रिप्ट पर काम करते हुए पहले तो गुरमेहर कौर ने इस सारे मामले को अभिव्यक्ति की आज़ादी से जोड़ते हुए जे एन यू के छात्रों का समर्थन कर दिया और घोषणा कर डाली कि-" मेरे पिता कि मृत्यु के लिए पाकिस्तान नहीं, युद्ध जिम्मेदार है."
"भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरु करने की नौटंकी करने वाले क्रेजीवाल आजकल जरूरत से ज्यादा बैचेन नज़र आ रहे हैं; उनकी अद्भुत चीख पुकार का हम अपने चैनल की टी आर पी बढाने के लिये उपयोग कर सकते हैं."