Friday, October 18, 2024
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अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जा, यौन दासता की गम्भीर आशंका, ये लोग है निशाने पर

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Jitendra Meena
Jitendra Meena
Jitendra Meena Is A Senior Journalist And Editor Of Mission Ki Awaaz | Jitendra Meena was born on 07 August 1999 in village Gurdeh, located near tehsil mandrayal City of Karauli district of Rajasthan.

जिस बात का डर था आखिर वही हुआ। अफगानिस्तान में 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया है रविवार को Kabul पर तालिबान के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) देश छोड़कर जा चुके हैं। लोग भी अपनी जान बचाने में जुट गए हैं रविवार से ही अफगानिस्तान की सड़कों पर जाम लगा हुआ है एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मची हुई है।

देश छोड़ने के बाद राष्ट्रपति गनी ने सोशल मीडिया पर लिखा, अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती, खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है। ऐसी भी खबरें थीं कि उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी देश छोड़ दिया है, लेकिन बाद में उन्होंने साफ किया कि वो देश में ही हैं।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान का पहला मिशन उन लोगों को ढूंढ-ढूंढकर खत्म करना है, जिन्होंने अमेरिकी सेना या सरकार का समर्थन किया था। इसके लिए तालिबान ने बाकायदा ‘किल लिस्ट’ (Kill List) तैयार की है और उसके लड़ाके घर-घर जाकर संबंधित लोगों की तलाश कर रहे हैं करीब 20 साल बाद सत्ता में लौटा तालिबान हर उस व्यक्ति को सजा देना चाहता है, जिसने उसके खिलाफ जाकर अमेरिकी सेना की मदद की।

ये है निशाने पर –
‘द सन’ (The Sun) की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी काबुल में तालिबानी लड़ाके घर-घर जाकर अमेरिकी सेना (US Army) की मदद करने वालों को तलाश रहे हैं। इसमें पुलिस, सैन्यकर्मी, सरकारी अधिकारी, विदेशी NGO से जुड़े कार्यकर्त्ता और पत्रकार शामिल हैं। काबुल में फंसे ‘रेडियो फ्री यूरोप’ के पत्रकार सैयद मुस्तफा काजमी ने भी तालिबान के इस ऑपरेशन की जानकारी दी है उन्होंने अपने ट्वीट में बताया है कि तालिबान अब अपने दुश्मनों की तलाश कर रहा है।

1-Journalists के घर की तलाशी
उन्होंने लिखा है, ‘तालिबानी आतंकी सरकारी अधिकारियों, पूर्व पुलिस और सैन्यकर्मियों, विदेशी गैर सरकारी संगठनों या अफगानिस्तान के विकास के लिए काम करने वालों की तलाश में घर-घर जा रहे हैं। कुछ वक्त पहले तक कम से कम तीन पत्रकारों के घर की तलाशी ली जा चुकी थी काबुल में रहना अब घातक होता जा रहा है किसी को नहीं पता कि आगे क्या होगा, हम सभी के लिए दुआ करें’।

2- महिलाओं की भी तैयार की गई लिस्ट
तालिबान ने उन महिलाओं की भी लिस्ट तैयार की है, जो सरकार और मीडिया के साथ काम कर रही थीं काबुल की सड़कों पर तालिबानी आतंकी तैनात हैं। और हर आने-जाने वाले की तलाशी हो रही है कलाकारों को सरेआम पीटा जा रहा है, उनके इंस्ट्रूमेंट तोड़े जा रहे हैं बता दें कि तालिबान के राज में न महिलाओं के कोई अधिकार होते हैं और न ही कलाकारों के लिए कोई जगह, यही वजह है कि अफगानी महिलाएं अपने भविष्य को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हैं।

3- कन्धार स्टेडीयम मै मौत का खेल
अमेरिका में अफगानी नागरिकों की बसने में मदद करने वाली संगठन ‘नो वन लेफ्ट बिहाइंड’ के को-फाउंडर जेलर ने अल जज़ीरा से बातचीत में कहा कि काबुल से आ रही खबरें भयानक हैं। वहीं, कंधार स्टेडियम में लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। यूएस आर्मी के लिए काम करने वाले Interpreters सबसे ज्यादा खौफ में हैं, क्योंकि तालिबानी उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद ये Interpreters अपने परिवार सहित अंडरग्राउंड हो गए हैं वो अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

यौन दासता की गम्भीर आशंका

तालिबान की वापसी से महिलाएं सबसे ज्यादा खौफजदा हैं, क्योंकि बीते दिनों कुछ प्रांतों पर कब्जे के बाद से ही उसके नेताओं ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने जुलाई की शुरुआत में बदख्शां और तखर स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ निकाह के लिए 15 साल से बड़ी लड़कियां और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की फेहरिस्त देने का हुक्म दिया था।

अगर यह निकाह हुए तो इन महिलाओं को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाकर फिर से इस्लामी तालीम दी जाएगी। मानवाधिकार वादियों का कहना है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को यौन दासता में धकेलने की इस तालिबानी कवायद से दुनिया को पहले की तरह नजरें नहीं फेरनी चाहिए।

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Jitendra Meena Is A Senior Journalist And Editor Of Mission Ki Awaaz | Jitendra Meena was born on 07 August 1999 in village Gurdeh, located near tehsil mandrayal City of Karauli district of Rajasthan.
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