Friday, April 19, 2024
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गुपकार गैंग द्वारा रोशनी एक्ट की आड़ में किया गया 25000 करोड़ रुपए का घोटाला!

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

इतिहास गवाह है कि महाराज हरि सिंह की महत्वाकांक्षा और उनके द्वारा जम्मू-कश्मीर रियासत के लिए हिंदुस्तान को अपना देश स्वीकार करने में किए गए विलंब ने खूंखार लूटेरों को मौका दिया और उन्होने हिंदुस्तान में बैठे अपने शुभचिंतकों की सहायता से गिलगिट-बल्टिस्तान सहित जम्मू-कश्मीर के आधे हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया, जिसे हम आज POK को नाम से जानते हैं।

हिंदुस्तान के प्रति वैमनस्यता रखने वाले यहीं नहीं रुके। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का जो भाग हिंदुस्तान के हिस्से में आया उसे भी एक सुनियोजित षड्यंत्र के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 370 व 35अ (Article 370& 35A) का सहारा लेकर एक विशेष राज्य का स्तर प्रदान कर हिंदुस्तान से लगभग अलग कर दिया। इस विशेष राज्य का स्तर प्राप्त होते ही जम्मू-कश्मीर का अलग झण्डा, अलग संविधान व अलग निशान बन गया जो कहने को तो भारतीय संविधान की परिधि में ही था, परंतु पूरी तरह स्वायत्तशासी स्थिति में था।

इसी व्यवस्था का लाभ उठाकर 2001 से 2007 के बीच गुपकार गैंग वालों ने मिलकर जम्मू-कश्मीर को जहाँ से मौका मिला वहाँ से लूटा, खसोटा, बेचा व नीलाम किया और बेचारी जनता मायूसी के अंधकार में मूकदर्शक बनी देखती रही।

इसी लूटपाट का प्रत्यक्ष उदाहरण है: रोशनी एक्ट

जम्मू-कश्मीर में गुपकार गैंग का एकाधिकार होने के कारण संपूर्ण व्यवस्था पर उनका नियंत्रण था। इसका फायदा उठाकर सरकारी जमीनों पर बड़े पैमाने पर इन्होंने कब्जा किया। 2001 में फारूख अबदुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और केंद्र मे भाजपा की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।

फारूख अबदुल्ला व केंद्र के बड़े नेताओं की परिचर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य के सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे से निपटने के लिए यह निर्णय लिया गया कि अवैध कब्जा करने वालों से कानूनी लड़ाई लड़कर समय, सामर्थ्य व पैसा बरबाद करने के बजाय उनके अवैध कब्जे को वैधानिकता प्रदान कर दी जाए। इसके एवज में उनसे जमीन की कीमत वसूली जाए और इससे प्राप्त राशि से जम्मू-कश्मीर में बिजली की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।

अत: सन 2000 में बजट प्रस्तुत करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सद्भावपूर्वक एक योजना का प्रस्ताव रखा जिसे ‘रोशनी योजना’ के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रस्ताव दिया गया कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों से से सन 1990 में जो जमीन का बाजार मूल्य था वह वसूल कर उनके अधिकारों को वैधानिकता प्रदान कर दी जाए।

यहीं पर तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा मात खा गए। वे प्रस्ताव सन 2000 में प्रस्तुत कर रहे थे और जमीनों का बाजार मूल्य सन 1990 का पकड़ रहे थे।

इसी प्रस्ताव के अंतर्गत मौका पाते ही आज के गुपकार गैंग के मुखिया फारूख अबदुल्ला की बाँछे खिल गई और उन्होंने तुरंत ‘The Jammu and Kashmir State Land (Ownership to the Occupants) Bill’ जम्मू-कश्मीर के विधानसभा में पेश किया जो 9 नवंबर 2001 को तत्कालीन गवर्नर गिरीश चंद्र सक्सेना की मंजूरी मिलते ही ‘The Jammu and Kashmir State Land (Ownership to the Occupants), Act 2001’ के रूप में सामने आया।

13 नवंबर 2001 को सरकारी राज-पत्र में इसे प्रकाशित कर दिया गया। चूँकि ये ‘रोशनी प्रस्ताव’ के नाम पर पारित किया गया था, अत: इसे ‘रोशनी अधिनियम’ के नाम से भी जाना जाने लगा।

इस अधिनियम की प्रस्तावना को कुछ यूँ गढ़ा गया था: बिजली परियोजनाओं के लिए वित्त उत्पन्न करने के लिए सरकारी जमीनों के कब्जाधारियों के स्वामित्व का अधिकार देने के लिए एक अधिनियम।

ऊपर से तो सबकुछ अच्छा था, परंतु इसमें दिए गए प्रावधानों को लूट-खसोट करने हेतु अपनी इच्छा से प्रयोग करने की पूरी खुली छूट गुपकार गैंग के लोगों के पास थी और यहाँ से जो लूटपाट का धंधा शुरू हुआ वो 2007 तक जारी था।

सबसे पहले ये देखिए कि ‘Jammu and Kashmir State Land (Ownership to the Occupants) अधिनियम’, सन 2001 में लागू हुआ। परंतु अवैध कब्जे को वैधानिकता प्रदान करने के लिए जमीन की जो रकम वसूल की जा रही थी वो सन 1990 के बाजार दर पर थी। और इस प्रकार फारूख अबदुल्ला की पार्टी के सभी बड़े नेताओं, रिश्तेदारों, कार्यकर्ताओं ने भारी मात्रा मे जमीनें हथिया ली।

इस अधिनियम की धारा 12 उपधारा 4 (Section 12 subsection 4) मे कृषि भूमि से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं जो यह कहते हैं कि किसी व्यक्ति के कब्जे मे कृषि योग्य भूमि है तो उसे बगैर किसी मूल्य के उसे दे दी जाएगी और उसके बदले मे केवल 100 रुपए वसूल किया जाएगा राजस्व दस्तावेजों (Revenue Records) को दुरुस्त रखने के लिए। अब ये पूरा प्रावधान ही वैधानिक निषेध के नियम 13(4) के विरूद्ध निर्धारित किया गया है। इस प्रावधान का उपयोग करते हुए करोड़ो की कीमत वाली कृषि योग्य भूमि को बिना किसी मूल्य के मालिकाना हक प्राप्त कर लिया गया, लूटेरों के द्वारा।

2001 मे लागू किए गए अधिनियम की धारा 8(b) के अनुसार केवल 10 kanals जमीन का स्वामित्व प्रदान किया जा रहा था, परंतु 2004 में इसमें संशोधन किया गया और इस सीमा को बढ़ाकर 100 Kanals कर दिया गया।

2004 मे गुपकार गैंग की दूसरी सबसे बड़ी भागीदारमहबूबा मुफ्ती के अब्बा मुफ़्ती मोहम्मद सईद की सरकार थी और उन्होंने भी ये मौका हाथ से नही जाने दिया। 27 फरवरी 2004 को ‘Jammu and Kashmir State Land (Ownership to the Occupants) अधिनियम’ में संशोधन किया गया, जिसे दिनांक 19 मार्च 2004 को तत्कालीन गवर्नर श्रीनिवास कुमार की मंजूरी मिलने के पश्चात सरकारी राजपत्र मे प्रकाशित कर लागू कर दिया गया।

इस प्रकार जो अवैध कब्जे की तय सीमा 1990 तक थी, 2001 के अधिनियम में उसे उस संशोधन के जरिए 2004 तक बढ़ा दिया गया। अर्थात जो निवासी 2004 तक सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बैठे थे वे सभी पात्र कर दिए गए इस अधिनियम के द्वारा वैध स्वामित्व प्राप्त करने के लिए।

फिर 2007 मेंकांग्रेस की सरकार बनी और गुलाम नबी आजाद मुख्यमंत्री बने। घोटालों पर तो हमेशा कांग्रेस के नेताओं का एकछत्र राज रहा है, तो फिर कांग्रेस यहाँ कैसे पीछे रहती!

एक बार फिर ‘Jammu and Kashmir State Land( Ownership to the Occupants) अधिनियम’ में संशोधन किया गया और इसकी सीमा 2007 तक बढ़ा दी गई। अर्थात अब जिन लोगो ने 2007 तक अवैध कब्जा किया था उन्हें भी वैधता प्रदान की जाने लगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन 2007 में किए गए संशोधन को अवैधानिक व मनमाने तरिके से विधायिका की सहमति के बिना सरकारी राजपत्र में प्रकाशित कर लागू कर दिया गया। यह असंवैधानिक कार्यवाही है। यह आब्जर्वेशन जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका संख्या 19/2011 में निर्णय पारित करते हुए अपने निर्णय (Judgement) के पैरा संख्या 17 में वर्णित की है।

इस प्रकार 2001 से लेकर 2007 तक जबरदस्त तरिके से सरकारी जमीनों की लूटमार होती रही। गुपकार गैंग के सदस्य अपनों को कौड़ियों के दाम में करोड़ों की सरकारी जमीनों का स्वामित्व देते रहे।

इस घोटाले के संदर्भ मे एक जनहित याचिका (PIL No. 19/2011) जम्मू व कश्मीर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई गयी तथा पुन: 31 मार्च 2013 को CAG ( Comptroller and Auditor General of India) के द्वारा इस करोड़ों के रोशनी जमीन घोटाले पर प्रस्तुत किए गए रिपोर्ट का उदाहरण देते हुए 13 मार्च 2014 को अर्जी ( IA No. 48/2014 & CM Nos. 4036, 4065 of 2020) प्रस्तुत कर प्रार्थना की कि इस घोटाले की जांच CBI द्वारा कराई जाए।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय केमुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायाधी राजेश बिंडले के डिवीजन बेंचने उपरोक्त जनहित याचिका में प्रस्तुत किए गए अर्जी (IA No. 48/2014 & CM Nos. 4036, 4065 of 2020 In PIL no. 19/2011) पर सुनवाई करते हुए 9 अक्टूबर 2020को अपना निर्णय दिया। इस निर्णय के द्वारा रोशनी जमीन घोटाले की जांच CBI को देते हुए न्यायालय ने आदेश दिया कि:-

1: कमिश्नर/ सरकारी राजस्व विभाग के सचिव, रोशनी अधिनियम के अतंर्गत सरकारी जमीनों से जुड़ी समस्त जानकारियों (जैसा कि आदेश मे वर्णित है) को अधिकारिक वेबसाइट व NIC के वेबसाइट पर प्रकाशित करें।
2: CBI जांच के बाद विधि के अनुसार केस रजिस्टर करेगी और यदि अपराध हुआ हो तो जांच करने व दण्डित करने की कार्यवाही करे।

3: CBI निदेशक के सामने Anti Corruption Beuro अपना Closure Report प्रस्तुत करे (जिसे उसने 4 जुलाई 2019 को Spl. Judge (ACB, Jammu) के सामने FIR no. 6/2014 मे प्रस्तुत किया था) और साथ में उस Closure Report पर पारित किया गया आदेश भी प्रस्तुत करे।

4: CBI प्रत्येक आठवें सप्ताह मे अपना प्रतिवेदन (रिपोर्ट) न्यायालय के सामने प्रस्तुत करे।

इसके अतिरिक्त भी कई आदेश पारित किए गए, परंतु सबसे बड़ा जो आदेश व निर्णय उच्च न्यायालय ने लिया है वो
निम्नवत है:-

1:-उच्च न्यायालय ने Jammu and Kashmir State land ( vesting of Ownership to the Occupants) Act, 2001 को पूरी तरह असंवैधानिक घोषित करने के साथ-साथ इसमें समय-समय पर किए गए समस्त संशोधनो(amendments) को अमान्य व अवैधानिक तथा संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का विरोधी घोषित कर दिया है।

2:- The Roshni Rules 2007 के अंतर्गत पारित किए गए सभी आदेश को पूर्णतया अवैधानिक व शून्य घोषित कर दिया।

3:-Section 6 of the General Clauses Act, 1897 would also not aid the beneficiaries.

आदरणीय उच्च न्यायालय ने इस अधिनियम को ‘स्वंय के लिए लूट’ अर्थात ‘Loot to Own’ की नीति बताते हुए इसकी कटु शब्दों में निंदा की और टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘ये लूटेरे अपने नापाक मंसूबो को आसान बनाने के लिए किसी कानून को बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं (Para No.2 Judgement)।

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दो मे इस लूट-खसोट की भयावहता को अपने शब्दों में प्रकट करते हुए कहा कि ‘राष्ट्रीय व जनता के हितों की कीमत पर सरकारी खजाने और वातावरण को असहनीय क्षति पहुंचाने वाली, बगैर मौद्रिक (या अन्य) प्रभावी आकलन के अपराधिक कार्यों को वैध बनाने वाली, राज्य के किसी ऐसी विधायी कार्यवाही के संपर्क में हम नहीं आए।

आदरणीय उच्च न्यायालय ने आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा (1997) 1SCC 3880 MC Mehta v/s Kamalnath दिए गए आकलन को प्रस्तुत किया जिसमें ये कहा गया कि ‘हमारी कानून प्रणाली अंग्रेजी आम कानून पर आधारित है जो सार्वजनिक न्यास के सिद्धांत को अपने विधिशास्त्र के एक भाग के रूप मे शामिल करती है। वे सभी प्राकृतिक संसाधन जो जनता के उपयोग और आनंद के लिए प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए हैं, राज्य उन सभी का न्यासी होता है। जनता वृहद स्तर पर समुद्र के किनारों, बहते पानी, हवा, जंगल और प्राकृतिक रूप से नाजुक भूमि की लाभार्थी होती है, ये संशोधन जनता के उपयोग के लिए हैं जिन्हें व्यक्तिगत स्वामित्व मे बदला नहीं जा सकता।

राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से उच्च न्यायलय के आदेश का पालन करते हुए Jammu and Kashmir State land (vesting of Ownership to the Occupants) Act, 2001 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

गुपकार गैंग के सबसे बड़े मुखिया फारूख अबदुल्ला (जो चीन से सहायता लेकर अनुच्छेद 370 को बहाल करने की योजना बना रहे थे) की जांच-पड़ताल शुरू हो चुकी है।

बड़े-बड़े नाम उजागर होने वाले हैं। CBI के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर इस पर बनी हुई है।

नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
[email protected] 9172054828

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