यदि आपको यह दोहरा चरित्र समझ में आता है तो अपने बच्चे को, “प्रणाम” करना सिखाइए, यही आयु है उसकी। “फ्लाइंग किस” सीखना उस पर छोड़ दीजिए। आयु और समय आने पर वह स्वयं सीख लेगा। “फ्लाइंग किस” कोई संख्याओं या संस्कारों का अभ्यास नहीं है जो माता पिता या परिवार को सिखाना पड़े, आयु मूलक व्यवहार है।