उत्तरप्रदेश एंव केंद्र सरकार ने देश की बड़ी आबादी को भी वही महत्व दिया जो अन्य समुदाय को दिया जाता था भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडे पर आगे बढ़ते रही और एक के बाद एक लगातार चुनाव में जीत हासिल करती रही।
किसानों का पूरा कर्ज माफ़ का वादा राजस्थान में फेल रहा उसी वादे को कांग्रेस उत्तरप्रदेश में कर रही हैं वोट बैंक के लिए, कांग्रेस का दाव राजस्थान के तर्ज पर उत्तरप्रदेश के किसानों को रिझाने के लिए क्या कांग्रेस पार्टी का एक चुनावी दाव है।
घटना वाले दिन से हि कांग्रेस के, आप के, सपा के और बसपा के तथा अन्य पार्टियों के तथाकथित नेता किस आधार पर देश के गृह राज्य मंत्री और ऊनके बेटे के ऊपर किसानों की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। वो कौन से साक्ष्य हैं या साक्षीदार है जिनके आधार पर विपक्षी इतना छाती पीट पीट कर आशीष मिश्रा कि गिरफ्तारी कि बात कर रहे हैं, अब तक तो सबकुछ हवा में है।
उत्तरप्रदेश में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है, राष्ट्रवादी कही जाने वाली BJP और खुद को लोहिया और जयप्रकाश के समाजवाद का उत्तराधिकारी बताती सामजवादी पार्टी आमने सामने है.
बड़ी मुश्किल से और कोरोना की कृपा से उत्तर प्रदेश के लोग भाजपा सरकार से दूसरे मुद्दों पे सवाल कर रहे थे, जिससे चकोरों को फयदा हो सकता था, मंदिर को बीच में ला के इन्होने फिर से वही मोह पैदा कर दिया, जो डैमेज कंट्रोल बीजेपी २ महीने में नहीं कर पाती या शायद चुनाव तक, उसको इन्होने रामलला को बीच में ला के कर दिया।