TOPIC
Stubbornness
“जिद” और चरित्र में अकड़ आवश्यक है
जिद्दीपन है ना जब सकारात्मक हो समाजिकता से ओत प्रोत हो, नैतिकता से परिपूर्ण हो और राष्ट्रवाद की भावना के रस से सराबोर हो तो कभी सावरकर, कभी भगत, कभी नेताजी, कभी आज़ाद, कभी बिस्मिल, कभी लाल बाल और पाल तो कभी सरदार, कभी मुखर्जी, कभी उपाध्याय, कभी शास्त्री, कभी अटल, कभी आडवाणी तो कभी नरेंद्र दामोदर दास मोदी बनकर समस्त विश्व को प्रभावित कर देता है और अपने रंग में रंग देता है।