हज़ारो वर्षो से वैदिक सभ्यता,भारतीयता का जो उपहास व निम्नस्तरीयता का जो भाव विदेशी आक्रांताओ द्धारा प्रचलित रहा है वो आज भी जीवित है, तर्क, आलोचना, टिप्पड़ियाँ, कुंठा से ना हमारा भूतकाल पुनः राम राज्य बन जायेगा ना ही हम भारतियों की व्यथा को शांत कर पायेगा।