फिल्म 'मिसेज़ चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे' भारतीय मूल के आप्रवासी दंपती के द्वारा अपने बच्चों को पश्चिम की बाल सुरक्षा संस्था के हाथों खोने की दारुण कहानी बताने के साथ साथ और भी बहुत कुछ बताती है। वह हमें कुछ मौलिक प्रश्न करने के लिए कुरेदती है: हम भौगोलिकरण के सन्दर्भ में सामाजिक जीवन के इस पक्ष को किस तरह गठित करें? फिल्म पर मेरी प्रतिक्रिया पढ़िए और अपने भी विचार दीजिए।