Tuesday, October 15, 2024

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Piyush Goel

मोदी फिर इस बार-400 के पार

जब बजट प्रावधानों पर सदन के अंदर और सदन के बाहर सवा सौ करोड़ लोग खुश हो-होकर तालियां बजा रहे थे, उसी समय राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खड़गे अचानक ही इस तरह मुंह बनाकर बैठे हुए थे, मानो उन पर कोई जबरदस्त "डिप्रेशन" का दौरा पड़ा हो.

न जयप्रकाश आंदोलन कुछ कर पाया न ही अन्ना आंदोलन

क्या हमारे देश के नेताओं और सरकारी विभागों में एक लाल बत्ती ही है जो उन्हें 'अतिविशिष्ठ' होने का दर्जा या एहसास देती है?

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