पसमांदा मुसलमानो की जनसंख्या अधिक होने के पश्चात भी इनका दुर्भाग्य है कि, इन पर १५-२०% की जनसंख्या वाले अशराफ मुसलमानो ने अपना प्रभुत्व बनाये रखा और खुद तो कांग्रेस के मुसलिम तुष्टिकरण की निति का लाभ उठाकर सत्ता और शक्ति की मलाई खाते रहे पर पसमांदा मुसलमानो के मुलभुत विकास पर भी ध्यान नहीं दिया।