उद्धव ठाकरे की सत्तासुंदरी की लालसा ने अपने चुनावी विरोधियों से समर्थन लेने पे विवश कर दिया और कांग्रेस जो बालासाहेब की पुरजोर विरोधी रही और बाबरी विध्वंस के स्मरण में विपरीत ध्रुवों पे खड़ी रहने वाली पार्टियां आज सत्ता पक्ष में रहने के लिए अपनी विचारधारा और मूल्यों से भी समझौता करने लगी हैं।
Balasaheb rode the wave with anyone who would contribute to his success, not like a Shivaji, but more like a Clive, immoral in alliances and implacable in hostilities.