Contrary to what people think today about Shiv Sena as the flag bearer of Hindutva, the party never took a great leap towards uniting the Hindus from all parts of the country.
उद्धव ठाकरे की सत्तासुंदरी की लालसा ने अपने चुनावी विरोधियों से समर्थन लेने पे विवश कर दिया और कांग्रेस जो बालासाहेब की पुरजोर विरोधी रही और बाबरी विध्वंस के स्मरण में विपरीत ध्रुवों पे खड़ी रहने वाली पार्टियां आज सत्ता पक्ष में रहने के लिए अपनी विचारधारा और मूल्यों से भी समझौता करने लगी हैं।