1947 मे छद्म शांति के लिये देश विभाजन रूपी भारी मूल्य चुकाने का आत्मघाती निर्णय तुष्टीकरण की नीति का कुपरिणाम था यह नीति आज़ादी के अनंतर भी कायम रही। आज शासन के लिये इस नीति से मुक्त हो इतिहास की भूलों से सबक लेना, अपनी संवेधानिक शक्तियों के दृढ़ता पूर्वक प्रयोग द्वारा असामाजिक तत्वों को निर्मूल कर लोकतंत्र के मंदिरों मे इनका प्रवेश निषेध करना अत्यावश्यक है।