Friday, March 29, 2024

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हास्य व्यंग्य

आख़िर कहाँ और कितना बाकी है हिंदू?

स्वयं चिंतन ,स्वयं संगठन , स्वयं क्रिया , स्वयं पुरुषार्थ , तथ्यों से आगे कर्मबोध तक जाना है अन्यथा हिंदुओं की लुटिया खुद हिंदुओं को ही समयचक्र में पुनः पुनः डूबना है ।

भारतीय वेबसीरीज़- पोस्टमार्टम

ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर कुछ समय से अलग ही हिन्दू तिरस्कार चल रहा है। पहले सेक्रेड गेम्स, फिर लीला, फिर पाताल लोक और अब कृष्णा एंड हिज लीला। मानो झड़ी लग गयी है कि कौन अधिक हिन्दू घृणा फैला सकता है।

ज़रूरत कम, दिखावा ज्यादा

जो कुछ भी दिख रहा अथवा हो रहा है, सब किसी न किसी उद्देश्य या जरुरत को पूरा करने के लिए है। इंसान जो भी करता है, किसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए या तो किसी स्वार्थवश ही करता है, चाहे वह कितना भी इस बात को नकार दे।

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