आज सम्पूर्ण भारतवर्ष को स्पष्ट विचारधारा की आवश्यकता है। जहां हर व्यक्ति को अपने राष्ट्र के हित में ही अपना हित देखना होगा। राष्ट्र के नाम पे ही व्यक्ति को अपने अस्तित्व का निर्माण करना होगा।
हमारा इतिहास हमें यही सीखता है कि शांति ही परम आनन्द है, शांति ही परम विजय है, शांति ही परम धर्म है। अशांत व्यक्ति या समूह कदापि आनन्द, विजय व धर्म की प्राप्ति नहीं कर सकता है।
जिस देश को अपने इतिहास से, अपनी संस्कृति से जुड़ाव नही होता, उनकी उड़ान बुलबुले सी होती हैं। ऐसी मानसिकता वैसे ही लोगों में होती हैं, जिनकी जड़ें खोखली होती हैं।