Saturday, April 20, 2024
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ओम द्विवेदी

Writer. Part time poet and photographer.

20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज पूरा गणित।

यह आर्थिक पैकेज इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि तात्कालिक रूप से यह कोरोना वायरस के संकट से लड़ने का प्रयास करेगा और दीर्घकालिक समयावधि में भारत के आत्मनिर्भर बनने और विश्व में अग्रणी स्थान अर्जित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

An open letter to the Prime Minister of India

A humble request of a Hindu to his Prime Minister.

एक राष्ट्र एक शिक्षा: नई शिक्षा नीति नहीं अपितु नई शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता

शिक्षा से ही मनुष्य का निर्माण होता है और मनुष्य सभ्यता का केंद्र बिंदु है। शिक्षा ऐसी हो जो अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र पर गर्व करना सिखाए। भारतवर्ष के महान उदय के लिए आवश्यक है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था का पुनर्जागरण हो।

एकतरफा धर्मनिरपेक्षता (सेकुलरिज्म) की मृग मरीचिका

भारतवर्ष का लोकतंत्र ही ऐसा है कि यहाँ हिंदुओं को अपने अधिकारों की प्राप्ति के स्वयं युद्ध करना होगा। इसके लिए आवश्यक है हिंदुओं का संगठित होना। हिन्दू एकता ही महान भारतवर्ष के निर्माण का पहला और आखिरी समाधान है।

एक मुसलमान जो कर्म से हिन्दू था

भले ही इतिहासकार कट्टरपंथी आक्रान्ताओं को भारतवर्ष का नायक बना दें लेकिन इतिहास सदैव नहीं छुपाया जा सकता। इतिहास मुग़लों की क्रूरता का बखान करेगा और उन मुसलमानों को बाहर लेकर आएगा जो कट्टरपंथ के विरोधी थे।

हे कांग्रेस समर्थकों! अब भी समय है जागो और राष्ट्र के हित में विचार करो।

भाजपा, कांग्रेस, आप और बसपा ये सब बाद में हैं पहले ये सनातन हिन्दू धर्म है, इस भारतवर्ष का अस्तित्व है। इनकी रक्षा करने वाले का साथ दीजिए, इनके विकास की बात करने वाले का साथ दीजिए। जो पार्टी आज तक अपना अध्यक्ष नहीं बदल सकी वह भारतवर्ष के भाग्य को क्या बदल पाएगी और यह भी संभव है कि आने वाले समय में कांग्रेस का अस्तित्व ही न रहे।

Dear Hindu! Stop giving justification to everyone

Accept your identity and declare your existence. There is no need to hide our folklore, traditions and Sanatan under the cover of science.

वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था के मध्य अंतर और हमारे इतिहास के साथ किया गया खिलवाड़

वास्तव में सनातन में जिस वर्ण व्यवस्था की परिकल्पना की गई उसी वर्ण व्यवस्था को छिन्न भिन्न करके समाज में जाति व्यवस्था को स्थापित कर दिया गया। समस्या यह है कि आज वर्ण और जाति को एक समान माना जाता है जिससे समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

Why could another Ram Katha not be made like Ramanand Sagar’s Ramayan?

Today, in this article, we will talk about Ramayan and analyze what was the reason that another Ramakatha could not be composed like Ramayan by Shri Ramanand Sagar.

पारंपरिक भारतीय मूल्य Covid19 से लड़ने के लिए कैसे सही हैं

यह समझने की जरूरत है कि हालांकि भारत के पास Covid19 को ठीक करने के लिए वैक्सीन बना पाने की ठीक ठाक संभावना है, लेकिन रहस्यमय वायरस से लड़ने के लिए बहुत सारे विचार अवश्य हैं।

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