Wednesday, April 24, 2024
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ओम द्विवेदी

Writer. Part time poet and photographer.

पाताललोक के बहाने मृत्युलोक पर हिन्दुओं के प्रति सिनेमाई घृणा का पोस्टमार्टम

पाताललोक अपराध की दुनिया पर आधारित एक वेब सीरीज है। यहां अपराधी हैं, पुलिस है, राजनेता और उनके दाएं-बाएं हाथ हैं, आम आदमी है और मुसलमान हैं। आपको लग रहा होगा कि सिर्फ इतना होने पर विवाद क्यों?

कोई गणित का मास्टर है या क्रिकेट का फैन लेकिन भारत में उसे जिहाद फैलाने का अधिकार नहीं मिलेगा

भारतीय मीडिया की एक महान विशेषता है कि उसके पास किसी अपराधी या आतंकी के अपराध को छुपा देने की रेसिपी है।

भारतीय भाषाई विविधता पर हावी पश्चिमीकरण और हमारी दुर्बलता

संस्कृत विश्व की पुरातन भाषा है और वर्तमान की सभी भाषाओं की उत्पत्ति इसी भाषा से हुई है किन्तु आज यही संस्कृत भाषा विलोपित होती जा रही है। उससे भी बड़ी विडम्बना यह है कि हम स्वयं अपनी भाषागत परंपरा का पश्चिमीकरण कर रहे हैं। (by @omdwivedi93)

सेक्युलरिज्म का साँड़ अब लाल नहीं अपितु भगवा रंग देखकर खिसियाता है

हमने इस बार उसे नारा लगाने दिया। जब दो चार नारा लगाने के बाद वो हांफ गया और उसके फेफड़ों से सीं सीं की आवाज़ आने लगी तब हमने कहा, "सांस ले लो भाई, नहीं तो कहीं तुम्हारे लब आज़ाद हो गए तो तुम्हारे कामरेड बोलने लगेंगे, मूडी मस्ट रिजाइन, मूडी मस्ट रिजाइन"।

हम सब हैं मजदूरों की इस दयनीय स्थिति के जिम्मेदार: हम, आप और सारा समाज जो आज उनकी स्थिति पर या तो आंसू बहा...

यह लेख पूर्ण रूपेण उन मजदूर भाइयों और बहनों को समर्पित है जो निरंतर चल रहे हैं, सड़कों पर। जिनके कंधे पर अनाज और कपड़ों का बोझ है और मन में अपने घर जीवित पहुंचने की आशाएं।

तीन ऐसे लोग जिन्होंने बताया कि पराजय अंत नहीं अपितु आरम्भ है: पढ़िए इन तीन राजनैतिक योद्धाओं की कहानी

ये तीन लोग हैं केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, दिल्ली भाजपा के युवा एवं ऊर्जावान नेता एवं समाजसेवी कपिल मिश्रा एवं तजिंदर पाल सिंह बग्गा। इन तीनों की कहानी बड़ी ही रोचक एवं प्रेरणादायी है।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज का पांचवां और अंतिम भाग: शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापर सुगमता को समर्पित

पैकेज के पांचवें और अंतिम भाग में ग्रामीण रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापर सुगमता और राज्यों को साथ लेकर चलने से सम्बंधित सुधार प्रस्तुत किये गए।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज का चौथा भाग: कूटनीतिक एवं ऊर्जा क्षेत्र के उन्नयन को समर्पित

जिन क्षेत्रों में संस्थागत, नीतिगत और निवेश आधारित सुधारों की बात की गई है वो सभी अति महत्व के क्षेत्र हैं। जहाँ एक ओर कोयला, खनिज और ऊर्जा क्षेत्र रोजगार निर्माण एवं अवसंरचना विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं वहीं अंतरिक्ष, परमाणु और उड्डयन जैसे क्षेत्र भारत की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता: पैकेज का तीसरा भाग, कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का विकास

आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक कि भारत के गाँव और कृषि व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होती। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आत्मनिर्भर भारत पैकेज में कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों के लिए एक बड़ा हिस्सा समर्पित किया गया है।

20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का दूसरा भाग

इस पैकेज का दूसरा भाग 14 मई को जनता के सामने लाया गया जो मुख्यतः कृषकों, प्रवासी मजदूरों और रेहड़ी-ठेला लगाने जैसा व्यापार करने वालों पर आधारित है।

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