संविधान की अब तक की सफलता एक महान उपलब्धि है किंतु आगामी समय में चुनौतियां भी कम नहीं है आवश्यकता है कि हम संवैधानिक व नैतिक मूल्यों को सहेजें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें, अन्यथा संविधान हीलियम के बक्से में बंद एक पुरानी पोथी से बढ़कर कुछ नहीं रहेगा।
आरसीईपी सदस्य भारत की वापसी की आशा में टकटकी लगाए हुए हैं और आज के कोरोना प्रभावित विश्व को भी बेहतर सामंजस्य, सहयोग, सुगमता व संबंधों में मधुरता की आवश्यकता है।