after evaluating in Dec 2019, the court dismissed all petitions seeking a probe into the alleged irregularities in the deal, and gave a clean chit to the Union government on all the three aspects, the decision making, pricing and selection of offset partner.
जिस तरह की जानकारियां राहुल गाँधी मोदी सरकार से "राफेल" के बारे में मांग रहे थे, उससे सबसे बड़ा फायदा दुश्मन देशों को होने वाला था. क्या सुप्रीम कोर्ट को खुद संज्ञान लेकर राहुल गाँधी पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलाना चाहिए?
Opposition speak lies loudly and repeatedly, overshadowing the truths and glories of the govt. Modi and BJP can't take it lightly which will only ensure a defeat in 2019.
अगर राहुल गाँधी या कोई और नेता ऐसा समझता है कि बेबुनियाद आरोपों को पूरी बेशर्मी के साथ बार-बार दोहराने से उसे सत्ता मिल सकती है, तो अभी भी ३-४ महीने का समय बाकी है-राहुल गाँधी ऐसे झूठे आरोप लगाने के लिए पूरी तरह आज़ाद हैं.