देश के बुद्धिजीवी और खुद को आम जनता का हमदर्द बताने वाले नेता इतने पत्थरदिल कैसे हो सकते हैं, कि उन्हें वर्षों तक कश्मीरी पंडितों का दर्द ही दिखाई ना दे..? अगर कश्मीरी पंडितों की ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो उनका अस्तित्व ही मिट जाएगा और इसके ज़िम्मेदार हम सब होंगे।