अन्याय है कहीं न्याय नहीं, ब्रिटिशर्स के बोएं बीजों में फिर तिरंगा लहराओगे, खुद को राष्ट्र भक्त कहकर, भारत माँ पर अधिकार भी जमाओगे, ससहस्त्र वर्षों की श्रृंखलाओं में जय भी होगी पराजय भी, अस्तित्व सनातन का रहेगा फिर भी, पर तुम सब इतिहास बन जाओगे!!
मेरा दलित होना या नही होने का आधार मेरी जाति या मेरे साथ होने वाला भेदभाव नहीं है अपितु मेरी जाति के तथाकथित ठेकेदारों की विचारधारा है, जो उस भ्रष्ट ठेकेदारी प्रथा के साथ है उनके हिसाब से वो सब दलित है और जो इस विचारधारा के साथ नहीं वो केवल एक कट्टर संघी हिन्दू है।