पिछले सौ सालों में वामपंथी सोच के कारण मानवता के शरीर पर अनेक घाव लगे हैं. आज के दिन 31 वर्ष पहले थियानमेन चौक पर जो बर्बरता हुई, वो आने वाली पीढ़ियों को वामपंथ के वास्तविक चेहरे का परिचय कराती रहेगी.
वैसे तो साम्यवाद को भारत में वीजा ऑन अराइवल मिल गया था लेकिन फॉर्म भरते टाइम धर्म वाला कॉलम मिस हो गयाI सच बोलूं तो धर्म-लेस इंडिया वाला कॉन्सेप्ट यहां कुछ जमा नहींI हालांकि साम्यवाद का थोड़ा भारतीयकरण हो जाता तो सामाजिक स्वीकृति थोड़ी ज्यादा होती शायदI
In the name of administering gender justice and to uphold order in the society, the courts and thereby the law- makers want to effect permanent change in the human condition.