भारतवर्ष में पुरातन काल से ही तथ्य आधारित सामाजिक संवाद की एक सुनियोजित व्यवस्था रही है। प्रथम पत्रकार माने जाने वाले देवर्षि नारद ने भी समाचार संप्रेषण में नये-नये आयामों को स्थापित करते हुए सामाजिक हितों की अवधारणा का प्रतिपादन किया।
सामाजिक संवाद की ही एक विधा नागरिक पत्रकारिता है, जिससे अभिप्राय पत्रकारिता के एक ऐसे आयाम से है जिसमें सामान्य नागरिक अपने मानस के अनुसार सूचना समाचार का संकलन, विश्लेषण एवं विभिन्न माध्यमों से प्रकाशन एवं प्रसारण में अपनी सक्रियता रखकर एक पत्रकार के रूप में अपनी सशक्त भूमिका निभाता है। जनसामान्य की इस भूमिका का लक्ष्य संपूर्ण समाज को स्वतंत्रतापूर्वक एक विश्वसनीय व तथ्य पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराना होता है जोकि एक स्वस्थ लोकतंत्र की मांग होती है। नागरिक पत्रकारिता लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति का वह मंच है जिसके माध्यम से पत्रकारिता के विभिन्न मूल्यों को दृष्टिगत रखते हुए उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करके किसी भी विषय को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाया जाता है।
चूंकि नागरिक पत्रकारिता एक ऐसी विविधतापूर्ण विधा है जो उन लोगों द्वारा संचालित की जाती है जो व्यावसायिक रूप से पत्रकार नहीं है लेकिन सोशल मीडिया एवं अन्य ब्लॉग पोस्ट इत्यादि के माध्यम से जानकारी देते हैं और इन्हीं विषयों के आधार पर जनमानस परिवर्तित होता है इसलिए आज के वातावरण के अनुसार किस प्रकार के विषय को चुनना यह समझ लेना आवश्यक है। इस विधा के माध्यम से हमारा उद्देश्य ऐसे विचार को बढ़ाना होना चाहिए जो कि देश का विकास करें एवं सभी वर्गों तक पहुंच कर देश को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करें। आज कोरोना के इस विकट संकट के समय हर व्यक्ति कहीं ना कहीं समस्याओं से जूझ रहा है कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने और सपने दोनों को खोया है और इस स्थिति में एक मानसिक बोझ उसके ऊपर हावी है जिसके कारण वह सोशल मीडिया के मंच पर नकारात्मक विचारों को जल्दी पकड़ रहा है एवं उसके प्रसार होने के कारण कई बार सकारात्मक एवं राष्ट्रीय हितों के विचार का प्रसार नहीं होता जो कि अभी की जरूरत है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया आज समाज को किसी भी विषय पर जागरूक करने का अचूक साधन है और उसी के नाते आज उसे समाज का प्रबोधन एक ऐसी दिशा में करना चाहिए जहां पर प्रत्येक व्यक्ति के सामाजिक कार्य का अंतिम उद्देश्य राष्ट्रहित पर केंद्रित हो, आज इस विधा का उपयोग संपूर्ण समाज के विकास में किस प्रकार किया जाए इस पर चिंतन करने एवं तथ्य पूर्ण विचार अधिकाधिक प्रसारित हो इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। नागरिक पत्रकारिता समाज के प्रति हमारे कर्तव्यों का निर्वहन है और जनसामान्य की मीडिया में सहभागिता बढे, इसका अवसर भी है। अतः मजबूत लोकतंत्र के निर्माण एवं जनकल्याण को ध्यान में रखते हुये, राष्ट्र विकास के मार्ग पर अग्रसित हो इस हेतु सकारात्मकता के साथ स्व का हित त्याग कर, देशहित में व्यवस्था परिवर्तन की संवाहक बनने वाली वाली नागरिक पत्रकारिता की आवश्यकता है।
भारत माता की जय
वैभव वर्मा