आज पूरा लिबरल गैंग #प्रशांत_भूषण के उस बयान को लगातार चमका दमका कर दिख रहा है, जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से मना किया है। कई ऐसे टुटपुँजिया जिन्हें सावरकर का ‘स’ तक नहीं पता, वो एक उलूल जुलूल ट्वीट करने वाले वकील की सावरकर से तुलना कर रहे हैं।
कुंठा से लदे दिमाग वाले इन क्रांतिकारियों से कोई पूछे कि इस बहादुर वकील ने हार्ले डेविडसन बाइक पर बैठे CJI वाली तस्वीर ट्वीट करने को लेकर कैसे माफी मांग ली?
कोई उनसे पूछे कि कैसे बाबा रामदेव को डिफॉल्टर बताने वाले पोस्टर को लेकर किए ट्वीट पर इस एक्टिविस्ट वकील ने बाबा रामदेव से कैसे नाक रगड़ कर माफी मांग ली?
कोई इनसे पूछे कि इस कथित वरिष्ठ वकील ने 2017 में भगवान कृष्ण को सबसे बडा मनचला बताने वाले ट्वीट के लिए कैसे माफी मांग ली?
कोई इनसे पूछे कि एम नागेश्वर राव की सीबीआई अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति के बारे में ट्वीट करने वाले इस क्रांतिकारी वकील ने कैसे गलती मान ली?
मतलब सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले, खुद को एक्टिविस्ट कहने वाले इस वकील का उलूल जुलूल ट्वीट करके चर्चा में आने और खुद को राजमाता के चरणों में दण्डवत दिखाने का लंबा इतिहास रहा है। इससे कोई पूछे कि ट्वीट करते समय दिमाग को फ्रिज में ठंडा होने रख देता है क्या, जो बाद में उन्ही ट्वीट पर सरेआम माफी मांगनी पड़ती है।