भारत में जो लोग हमेशा बिना सोचे समझे अपने देश की आलोचना करते हैं, उन्हें खुद देखना चाहिए कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है, हमारी प्राचीन और परिष्कृत हिंदू सभ्यता हमारा गौरव है।
भारत और अमेरिका जैसे जिन मालिकों ने इन्हे घी पिलाया अब वही इन्हे कायम चूर्ण भी दे रहे हैं फिर चाहे वो व्यापार बैन करने वाले कायम चूर्ण हों या फिर गलवान घाटी में चीनियों को दिया गया भारतीय कायमचूर्ण, या फिर बालाकोट में पाकिस्तान को दिया गया कायमचूर्ण।
जब चीन के सामानों के बहिष्कार की लहर चल रही थी तो अपने ही देश के कुछ लोग चीन की वफादारी में लगे थें। हाँ ये बात अलग है कि अब वैसे लोग जेल जा रहे है जो अच्छी बात है।
क्या हमने कभी सोंचा है कि कैसा होता अगर भारत को सुभाष चंद्र बॉस जी की आजाद हिन्द फौज ने आज़ादी दिलाई होती, या फिर 1857 की क्रान्ति का अंत देश की आजादी के साथ होता। मेरे विचार से तो तब शायद हमे देश की आज़ादी पर खुशी के साथ-साथ गर्व भी महसूस होता।