ज्ञानवापी, इस्लाम हि नहीं, अब्राहम से भी प्राचीन है
जब इस धरा पर ना तो अब्राहम थे, ना यहूदी थे, ना ईसाई थे और ना इस्लाम था और यही नहीं जब ना तो…
जब इस धरा पर ना तो अब्राहम थे, ना यहूदी थे, ना ईसाई थे और ना इस्लाम था और यही नहीं जब ना तो…
असफलताओं को पीछे छोड़, उनसे सबक सीखते और सफलताओ का विश्वकीर्तिमान गढ़ते हुए हम भारतवासी सम्पूर्ण विश्व में सर्वप्रथम दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले…
साहित्य समाज का दर्पण होता है। जैसा समाज होता है, वैसा ही साहित्य दिखाई देता है।
तुलसी चाहते तो वेद, पूरण, उपनिषद, गीता या महाभारत को लोकवाणी या जनवाणी में लिख सकते थे, क्या कठिन था उनके लिए किन्तु उन्होंने…
जिद्दीपन है ना जब सकारात्मक हो समाजिकता से ओत प्रोत हो, नैतिकता से परिपूर्ण हो और राष्ट्रवाद की भावना के रस से सराबोर हो…
पठान फिल्म भी देशभक्ति पर आधारित थी, परन्तु इसमे देश से प्रेम के स्थान पर "पठान" प्रेम अधिक दिखलाई पड़ रहा था। इस फिल्म…
काले कारनामे को छिपाने के लिए वो भ्र्ष्टाचारी पढ़ा लिखा अनपढ़ केंद्र सरकार द्वारा लाये गये "दिल्ली सेवा बिल" के विरोध के लिए गली…
अविश्वाश प्रस्ताव बुरी तरिके से असफल हो गया। सत्य की जीत हुई और धर्म विजयी हुआ। वर्ष २०१८ की भांति एक बार फिर एकजुटता…
ये वही मेहबूबा मुफ़्ती है, जो रैलियों में चीख चीख कर कह रही थी कि "यदि ३७० हटा, तो तिरंगे को कोई हाथ लगाने…
सारे भ्र्ष्टाचारी घबड़ाए हुए हैँ कि कब किसका नंबर आ जायेगा, कब किसको उसके कुकर्मो की सजा मिलेगी ये कोई नहीं जानता, यदि जानता है…