पढ़े लिखे भ्र्ष्टाचारी का शिशमहल

भाजपा, मीडिया और कांग्रेस नेता श्री अजय माकन के संयुक्त प्रयासों का परिणाम था कि दिल्ली के LG (लेफ्टिनेंट गवर्नर) २९ अप्रैल २०२३ को विजिलेंस विभाग के हेड श्री नरेश जी को आदेश देते हैँ कि खुद को दिल्ली का मालिक बताने वाले पड़े लिखे अनपढ़ द्वारा अवैध तरिके से बनाये गये शिशमहल के संबंध में पुरी रिपोर्ट १५ दिनों के अंदर सौपे। चुंकि रिपोर्ट १५ दिनों के अंदर अर्थात १३ मई तक सौंपी जानी थी इसलिए नरेश जी रिपोर्ट तैयार करने में लग जाते हैँ। 

तारीख याद रखिये

इस आदेश की भनक लगते हि, उस पढ़े लिखे अनपढ़ भ्र्ष्टाचारी के अपनी लंका में आग लग जाती है। वो तुरंत बड़ी चालाकी से सर्वोच्च न्यायालय एक याचिका लेकर पहुँच जाता है और मांग करता है कि “दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया जाए।  सर्वोच्च न्यायालय में  सुनवाई होती है और ११ मई तक सर्वोच्च न्यायालय अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उस पढ़े लिखे अनपढ़ की सरकार को दे देती है।

आनन फानन में सर्वप्रथम इस मामले की जाँच कर रहे अधिकारी राजशेखर को हटा दिया जाता है। फिर याद रखिये १३ मई को रिपोर्ट सौपी जानी थी, परन्तु ११-१२ मई की रात करीब १२ बजे से ३ बजे के दरम्यान कुछ लोग विजिलेंस विभाग के उस अफसर के कार्यालय में चोरों की भांति घुसते हैँ और कुछ देर के पश्चात अपने हाथ में दस्तावेजों से भरी फ़ाइले लेकर बड़े हि इत्मीनान से निकल जाते हैँ।

वो पढ़ा लिखा भ्र्ष्टाचारी अनपढ़ अपना खेल कर देता है। CCTV से ये बात पता चलते हि केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा देती है और अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उस पढ़े लिखे भ्र्ष्टाचारी के हाथों से निकल जाता है। 

अंतत: एक रिपोर्ट श्री नरेश जी द्वारा माननीय LG साहेब को सौपी जाती है, जिस को देखकर पढ़कर समझकर LG के होश उड़ जाते हैँ, वो तुरंत मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को रिपोर्ट सौंप कर तुरंत आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध करते हैँ और मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स  मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत इसके जांच के आदेश दे देता है।

मित्रों आप सोच रहे हैँ, ये कौन सी कहानी मै सुना रहा हुँ,  तो मित्रों ये आप समझ लो ये पूर्णतया सच्ची घटना पर आधारित है और दिल्ली के मालिक को तो आप सभी जानते हैं।

आइये आपको दास्ताने शिशमहल बताते हैँ।

COVID-19 का प्रकोप इतना भयानक था कि, प्रत्येक मनुष्य के हृदय में अजीब सा खौफ समा गया था। एक पड़ोसी अभी दूसरे पड़ोसी के आसुओं को दूर से हि सांत्वना देता पोंछने का प्रयास कर रहा होता है, कि तभी पता चलता है कि पड़ोस वाले अंकल नहीं रहे। 

अस्पतालों का दृश्य इतना विभत्स  था की हर औए त्राहिमाम मचा हुआ था, लोग ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए विक्षिप्तों की तरह बदहवास दौड़ रहे थे। एक भारतीय स्त्री अपने पति के प्रण बचाने के लिए उसे अपने मुख से हि प्रयास करती दिखाई दी, जबकी वो जानती थी कि इससे वो भी मौत के करीब जा सकती है। 

अस्पताल में बेड नहीं देखकर एक बुजुर्ग अपना बेड एक नौजवान को देते हैँ जो बेसुध मरनसन्न स्थिति में पड़ा था और उसको चिकित्सा की अवश्य्कता थी और कुछ दिनों के बाद उस बुजुर्ग की कोरोना के कारण मौत हो जाती है। दिल्ली की सडके वीरान थी अगर कुछ पसरा था हर ओर मातम और दुख।

ऐसे में देश का प्रधानमंत्री दिन रात प्रयास कर रहा था कि ना केवल उसके देश के लोगों की जान बचाई जा सके अपितु अन्य गरीब देशों के लोगों की भी बचाई जा सके। उसके अथक प्रयासों से देश अपना खुद का वैक्सीन बना लेता है। चिकित्स्कों के लिए कोरोना से बचने के किट तैयार कर लेता है। आवश्यक मास्क का बड़े स्तर पर उत्पादन होने लगता है।

वही दूसरी ओर दिल्ली का पढ़ा लिखा अनपढ़ भ्र्ष्टाचारी और उसकी पत्नी इस आपदा को अवसर में बदल रहे थे और अपने मुख्यमंत्री आवास को शिशमहल बनाने में कड़ी मेहनत कर रहे थे। जब दिल्ली की जनता ऑक्सीजन के लिए तड़प रही थी, तब यह भ्र्ष्टाचारी ताइवान का मार्बल अपने शिशमहल में लगा रहा था। जब अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे, तब ये लाखों के पर्दे लगवा रहा था। जब कब्रिस्तान और श्मशान में लाशों के लिए स्थान नहीं बचा था, तब ये ८ लाख रुपये का रिमोट से काम करने वाला “मल विसर्जन” का यंत्र अर्थात टट्टी करने वाला कम्बोड लगवा रहा था। और ये सब हो रहा था दिल्ली के जनता के पैसों से।

और मित्रों आपको बताते चले कि कांग्रेस लीडर श्री अजय माकन जी ने जो सात सूत्रीय आरोप पत्र LG को सौपा था उसमें निम्नवत आरोप लगाए गये थे:-

१:- रिनोवेशन के नाम पर पुन;निर्माण (Reconstruction) के कार्य को अंजाम दिया गया, जिसके लिए कोई परमिशन नहीं ली गयी।

२:- सक्षम अधिकारियों को बताये बिना धन का आवंटन अवैध तरिके से किया गया;

३:- दिल्ली विजिलेंस विभाग और PWD विभाग को पूर्णतया अपने कब्जे में लेकर मनमाने बिल पास कराये गये;

४:- आस पास के बंगलो को खाली कराकर उक्त परिसर के वृक्षों को अवैध तरिके से काट दिया गया और संबंधित नियमों की अनदेखी की गयी;

५:- बंगलो को खालि कराकर उसमें रहने वाले अधिकारियों के लिए luxarious फ्लैट्स की व्यवस्था की गयी जिसमें अवैध तरिके से धन का आवंटन किया गया;

६:- Consultancy के लिए १ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकी Consultancy की हि नहीं गयी तथा

७:- शिशमहल को तैयार करने में किसी भी विघिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

अब इसी काले कारनामे को छिपाने के लिए वो भ्र्ष्टाचारी पढ़ा लिखा अनपढ़ केंद्र सरकार द्वारा लाये गये “दिल्ली सेवा बिल” के विरोध के लिए गली गली भटक कर समर्थन जुटा रहा था, और यही नहीं जिन लोगों को भ्र्ष्टाचारी बताकर उनको जेल भेजने की बात करने वाला आज उनकी ठोकरों में पड़ा समर्थन करने की भीख मांग रहा है। परन्तु मित्रों जनता ने ऐसे हि मक्कारों को दंडित करने के लिए केंद्र में एक राष्ट्रवादी और शशक्त सरकार का गठन किया था।

अत: लोकसभा में “दिल्ली सेवा बिल” पास हो चुका है और अब राज्य सभा में पास कराने की तैयारी है और निसंदेह यह बिल राज्य सभा में भी पास हो जायेगा और राष्ट्रपति का आदेश मिलते हि कानून में बदल जायेगा।

एक बात और मित्रों सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार ED के निदेशक श्री संजय कुमार मिश्रा अब १५ सितंबर तक अपने पद पर बने रहेंगे। अब उस दिल्ली के भ्र्ष्टाचारी मालिक का क्या होगा, ये तो बस कुछ हि दिनों में हम सभी को पता चल जायेगा।

मित्रों महाराष्ट्र में कहावत है “सयाना कौवा हमेशा गुह पर हि बैठता है” और दिल्ली के पढ़े लिखे पर अनपढ़ भ्र्ष्टाचारी मालिक पर यह कहावत सटीक बैठती है।

जय हिंद।

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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