2014 की हार से झल्लाई कांग्रेस पार्टी ने अपने तौर तरीकों मे सुधार करने की बजाये, सारा समय इस बात पर लगा दिया कि गलती से भी मोदी जी कोई गलती कर दें और यह उसका मुद्दा बनाकर शोर मचाना शुरु कर दे.
क्या विपक्षी दलों के नेता इस देश की जनता को इतना बेबकूफ समझते हैं कि वे एक के बाद एक देश-विरोधी बयान देते जायेंगे और इस देश की जनता इनके इन बयानों से खुश होकर इन्हे लोकसभा चुनावों में वोट दे देगी
आतंकी के पिता ने जो कहानी इस तथाकथित पत्रकार को सुनायी उसने उसे पूरी तरह सच मानकर अख़बारों में परोस दिया और उसी के आधार पर कांग्रेसियों ने आतंकी को "बेक़सूर" और मोदी सरकार को "गुनहगार" बताने का सिलसिला शुरू कर दिया.
जिस तरह की जानकारियां राहुल गाँधी मोदी सरकार से "राफेल" के बारे में मांग रहे थे, उससे सबसे बड़ा फायदा दुश्मन देशों को होने वाला था. क्या सुप्रीम कोर्ट को खुद संज्ञान लेकर राहुल गाँधी पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलाना चाहिए?
जब बजट प्रावधानों पर सदन के अंदर और सदन के बाहर सवा सौ करोड़ लोग खुश हो-होकर तालियां बजा रहे थे, उसी समय राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खड़गे अचानक ही इस तरह मुंह बनाकर बैठे हुए थे, मानो उन पर कोई जबरदस्त "डिप्रेशन" का दौरा पड़ा हो.
अगर राहुल गाँधी या कोई और नेता ऐसा समझता है कि बेबुनियाद आरोपों को पूरी बेशर्मी के साथ बार-बार दोहराने से उसे सत्ता मिल सकती है, तो अभी भी ३-४ महीने का समय बाकी है-राहुल गाँधी ऐसे झूठे आरोप लगाने के लिए पूरी तरह आज़ाद हैं.
सरकार की इस घोषणा के बाद कि संविधान संशोधन के जरिये सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को १० प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष सकते में है. किसी को समझ में ही नहीं आ रहा है कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए