१. सामाजिक तिरस्कार २. न्याय ना मिलना ३. शिक्षा ना मिलना ४. नौकरी ना मिलना ५. बैंक इत्यादि सामाजिक सुविधाओं का लाभ ना मिलना। ये सभी दोष नए रूप में पनप रहे जातिवाद अधिक प्रचण्ड मात्रा में है। और इस जातिवाद का नाम है , अंग्रेजी भाषा का हर क्षेत्र में प्रयोग।
If we are to popularize a culture-rooted narrative, English shall be of great import. It is possible to not adopt the anglophile elitism and yet stay relevant in academia espousing such a narrative