Friday, April 26, 2024

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Dipak chaurasiya

पुस्तक समीक्षा ः कूड़ा धन – कूड़े – कचरे का ढेर समस्या नहीं, संभावनाओं का अंबार है

दीपक चौरसिया ने इस पुस्तक में कूड़े कचरे का अर्थशास्त्र समझाया हैं। उनका मानना है कि दुनिया में कूड़ा कबाड़ जैसी कोई चीज नहीं है। अगर कुछ कूड़ा कबाड़ है तो वह हमारी सोच के कारण है।

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